Sad True Shayari on Muskan
वह नयन ही क्या जिसमें सपने ना हो,
वह चयन ही क्या जो अपने ना हो ।
वह फूल ही क्या जिसमें खुशबू ना हो,
वह शूल ही क्या जो चुभती ना हो।
वह दर्द ही क्या जो याद ना हो,
वह मुस्कान ही क्या जिसमें खुशी ना हो।
Sad True Shayari on Muskan
वह नयन ही क्या जिसमें सपने ना हो,
वह चयन ही क्या जो अपने ना हो ।
वह फूल ही क्या जिसमें खुशबू ना हो,
वह शूल ही क्या जो चुभती ना हो।
वह दर्द ही क्या जो याद ना हो,
वह मुस्कान ही क्या जिसमें खुशी ना हो।